Friday, January 21, 2011

पर सोचता हूँ मैं कैसे ...


कह सकूँ तो कह दूँ
दिल के अरमाँ बता दूँ
कब से पाल रहा हूँ
सपने सँजो-सँजो कर
एक सपने जैसा-है सब
कहीं सपना ... ही तो नहीं
चँचल-सी वो कोमल-परी |


फुर्सत में ख़याल आया ...
छोटी-छोटी बातों पर
वो खिल-खिलाकर उनका हँसना
अपनी ही धुन में मस्त रहना
और वो धीमे-धीमे गुनगुनाना,
नटखट तो नहीं वो
पर नासमझ भी नहीं हैं
नादानी कहना क्या ठीक होगा,
उनकी उन हरकतों को
सानी नही कोई .. कहना क्या ठीक होगा |


पूछते है लोग
क्यों रहते हो उनसे दूर-दूर
हाँ, खीचतें हैं दोस्त
क्यों रहते हो खोये-खोये
अब उन्हें क्या बताएं ...
हम तो उन्हें छूने का एक बहाना ढूँढते हैं
उनके लवों के लिए एक तराना ढूँढते हैं
और ... पास उनके आने का एक याराना ढूँढते हैं |


मुझे डर हैं
हाँ डर है, रह न जाए प्रेम अधूरा
उलझन में हूँ, दूँ क्या खुद को मौंका
पर मौके की ज़रूरत किसे हैं
हाँ, मौके की ज़रूरत किसे हैं
मन में है क्या
चाहता हूँ क्या करना
खुद को ना मालूम
क्या करेगी मदद दुनिया
फिकर नहीं मुझे अपनी
हाँ, फिकर नहीं मुझे अपनी
हूँ मैं रास्तो का आवारा
पर सोचता हूँ मैं कैसे ...
न करूँ उसकी फिकर
टूट जाएगी मेरे बिना
लिहाज तो करना पड़ेगा
हाँ, इलाज तो करना पड़ेगा |


कह पाता, तो कह देता
दिल के अरमाँ बता देता
अब उन्हें, कैसे बताएँ
क्या हमारी मजबूरी है
पर ... क्या हर बात कहनी ज़रूरी है
लिख तो डाली ये कविता
बस, उन तक पहुंचनी अधूरी है

पर सोचता हूँ मैं कैसे ....

Monday, January 17, 2011

Best Poem - Jeevan Nahi Mara Karta Hai


Chhip chhip ashru bahaney walo
Moti vyarth lutaney walo
Kuchh sapno ke mar jaaney se
Jeevan nahi mara karta hai

Sapna kya hai, nayan sej par
Soya hua aankh ka paani
Aur tootna hai uska jyon
Jaagey kachchi neend jawani

Geeli umar bananey walo
Doobey bina nahaney walo
Kuchh paani ke bah jaaney se
Saawan nahi mara karta hai

Maala bikhar gai to kya
Khud hi hal ho gai samasya
Anshoo gar neelaam huey toh
Samjho poori hui tapasya

Roothey diwas mananey walo
Fati kameez silaaney walo
Kuchh deepon ke bujh jaaney se
Aangan nahi mara karta hai

Khota kuchh bhi nahi yahan par
Kewal jild badalti pothi
Jaise raat utaar chaandni
Pehne subah dhoop ki dhoti

Vastr badalkar aaney walo
Chaal badalkar jaaney walo
Chand khilono ke khoney se
Bachpan nahi mara karta hai

Laakhon baar gagriyan phooti
Shikan na aayi par panghat par
Laakhon baar kashtiyan doobi
Chahal pahal woi hai tat par

Tam ki umr badhaaney walo
Lau ki aayu ghataaney walo
Laakh kare patjhar koshish par
Upvan nahi mara karta hai

Loot liya maali ne upvan
Lutee na lekin gandh phool ki
Toofaano tak ne chheda par
Khidki band na hui dhool ki

Nafrat galey lagaaney walo
Sab par dhool udaaney walo
Kuchh mukhdon ki naaraazi se
Darpan nahi mara karta hai

This poem was written by Gopal Das 'Neeraj'