Thursday, September 9, 2010

उलझन - मेरी कविता


भूल गया हूँ, वो सुन्दर गीत
बरबस ही कभी, गुनगुनाया करता था
मिलती नहीं, वह मधुर ध्वनि
बजती थी कभी, कानो में
करता हूँ कभी, सुनने की कोशिश
घोड़े के टाप बजते है
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


सच पूछो तो हार गया हूँ
आशा के उस पार गया हूँ
इच्छा नहीं, दो कदम बढ़ायु
है ख्वाहिश, ख़त्म करने की
पर ख़त्म करूँ तो क्या
पूछता हूँ, जिंदगी से
पर पूछने को, है क्या
अब बुझ रहा है दीपक
सोचता हूँ, हवा को मोड़ दू
पर मुड़ सकेगा क्या
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


जाता हूँ द्वार भी
मिलते नहीं प्रभु
दीवारों से भी, मैंने था पुछा
करते नहीं, मुझसे बात वो
लोग कहते है, ढूंढ़ खुद के भीतर
पर जानता हूँ ... खोखला हूँ मैं
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


आँखों में दो बूँद आयें है
कर देगा मन-बदन गीला
सोचता हूँ क्या मैंने खोया
और मैंने है क्या पाया
पाने को था बहुत कुछ
पर था क्या मैं अकेला
ज़िन्दगी इन में गुजरी
कितनी आई और गयी
पर जाती नहीं निशा
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


लगता है कुछ छुट रहा
फिर एहसास होता
खुद की है एकांकी
सोचता हूँ कभी
आईने से पूछु
बता दे तू आज मेरी खता
है बड़ा मुश्किल सँभालना खुद को
सोचता हूँ सँभाल लू
पर संभलना है किसे
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


फ़र्ज़ था क्या मेरा
किया क्या अंश भी पूरा
अफ़सोस नहीं इस बात का
शायद हो कभी न पूरा
की थी शुरू कहाँ से
हो रही कहाँ पे अंत
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


दूर कहीं ..
दिखती है, एक रौशनी
शायद हो मंजिल मेरी
या की उसका रास्ता
चाहता हूँ बढ़ चलूँ
बढूँगा भी
उस लक्ष्य की ओर
फिर हूँ मैं सोचता
ढूँढने से ऐसे .. वो मिलेगा क्या
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


रास्ते तो थे कई
पर चलना था क्या मुझे
जीवन की उस घडी में
लगा जैसे
पा गया था मैं ज़िन्दगी को
अचानक सब कुछ ही खोकर
था इंतजार इसी क्षण का .. उम्र-भर
पर करता हूँ वादा
करूँगा मैं एक बार फिर कोशिश
की कोशिश ही है मेरी ताकत |


उठ सकता हूँ गिरकर
जब मारे कोई ठोकर
सोचता हूँ भटक गया राह मैं
या भटक गयी मेरी ज़िन्दगी
मिलूँगा तुझसे दुबारा
गर दूर हो गयी ज़िन्दगी की उलझन |

17 comments:

  1. बहुत सुंदर लिखा है...एक तरफ कोशिश को ताकत बता रहे हैं दूसरी तरफ निराशा के स्वर....अच्छा नहीं लगा...जिसके पास ताकत है, हिम्मत है जीत उसी की होगी...हिम्मत बनाए रखिए...

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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    1. धन्यवाद अजय कुमार जी

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  3. हार्दिक अभिनन्दन ....निराशा में भी आशा लिए सुन्दर कविता ....कोशिशें हमेशा कामयाब हो जाती है ...शुभकामनाए

    यहाँ भी पधारे
    विरक्ति पथ
    वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये सभी पाठकों को कमेन्ट करने में सुविधा होगी

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  4. hi vivek i really like your peom.
    i heard it before from you.
    Reading it again takes me to memories of RND and i also find that
    yaar tu to sach mein hi kavi ban gaya.

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    1. Thanx Rakesh .. but teri wo poem Pitaji wali bejod thi yaar .. very touching.

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  5. Thanks to you all ... for encouraging me and for your beautiful comments ... मैं तहेदिल आप सबका शुक्रगुज़ार हूँ |

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  6. bahut hi accha likha hai...
    hope ur uljhan will be solve out soon. God Bless !!!

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  7. धन्यवाद सुरेन्द्र सिंह जी
    आपके प्यारे शब्दों के लिए तहेदिल शुक्रगुज़ार हूँ

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  8. धन्यवाद संगीता पूरी जी

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